Dost
उसने मुझको तकलीफों में दोस्त कहा था क्या करता
उसकी आँखों में मुझसा एक सपना था क्या करता
यूँ तो उसके दुःख देने के सब ढंग थे याद मुझे
पर आज मिला तो मुस्काने का ढंग नया था क्या करता
फूलो वाले सारे रस्ते उसके घर को जाते थे पर
उसने मुझसा सुना पेड़ चुना था क्या करता
बचने के तो लाख बहने पूछे एक नजूमी से
पर उसके हाथो में मेरा नाम लिखा था क्या करता
प्यार किए से ऐसी गफलत क्यूँ हो जाती है
मुझसे मेरे घर का पता पूछ रहा था क्या करता
ये अजमेर के कवि श्री गोपाल गर्ग की गजल है लेकिन मेरे ख्याल से ये अधूरी है किसी भी ब्लॉगर को अगर ये कविता पूरी पता हो तो उसे पोस्ट करे और ये गजल कैसी लगी जरूर लिखे।
कान्हजी
उसकी आँखों में मुझसा एक सपना था क्या करता
यूँ तो उसके दुःख देने के सब ढंग थे याद मुझे
पर आज मिला तो मुस्काने का ढंग नया था क्या करता
फूलो वाले सारे रस्ते उसके घर को जाते थे पर
उसने मुझसा सुना पेड़ चुना था क्या करता
बचने के तो लाख बहने पूछे एक नजूमी से
पर उसके हाथो में मेरा नाम लिखा था क्या करता
प्यार किए से ऐसी गफलत क्यूँ हो जाती है
मुझसे मेरे घर का पता पूछ रहा था क्या करता
ये अजमेर के कवि श्री गोपाल गर्ग की गजल है लेकिन मेरे ख्याल से ये अधूरी है किसी भी ब्लॉगर को अगर ये कविता पूरी पता हो तो उसे पोस्ट करे और ये गजल कैसी लगी जरूर लिखे।
कान्हजी
यूँ तो उसके दुःख देने के सब ढंग थे याद मुझे
जवाब देंहटाएंपर आज मिला तो मुस्काने का ढंग नया था क्या करता
ताजा हवा के एक झोंके समान। बहुत अच्छी ग़ज़ल।
thanx
जवाब देंहटाएंaapko achhi lagi
is tarh hosla dete rahiyega